Tuesday, May 14, 2019

दादा की कहानी पोती की जुबानी



दादा की कहानी पोती की जुबानी

    स्वतंत्र भारत में पैदा होने का सुख  भले ही आज की पीढ़ी की  समझ से बाहर की चीज हो पर एक पीढ़ी पहले तक जन्मे लोग इसके महत्व से परिचीत अवश्य हैं  क्योंकि उन्हें यह दिन दिखाने के लिए उनके बाप  दादाओ  ने जो  कुर्वानिया दी थीं, वे उन्हें याद हैं   , मैं स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाली पहली पीढ़ी हूँ .पापा परतन्त्रता की बेड़ियों में जकड़ी भारत माता की औलाद हैं ,उनके पिताजी यानि  मेरे दादा जी स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक सशक्त कार्यकर्ता थे .
         व्यक्ति को जो सहज प्राप्य होता है ,उसका सुख ,उसका महत्व उसे आड़ोलित नहीं करता लेकिन मुझे करता है क्योंकि मैं दादा जी की आँखों से देखने का प्रयत्न करती हूँ .
    बिहार के दरभंगा जिले के एक छोटे से गाँव कछुआ चकौती में उनका जन्म हुआ था .माता पिता की इकलौती संतान सो भी पुत्र रत्न ,कई पीढ़ियों से एक ही संतान की परम्परा चली आ रही थी .कहते हैं किसी योगी का श्राप था .यही कारण है कि गाँव के बाकि घरों के टुकड़े होते गये ,हमारे पूर्वजों के पास ऐसी  समस्या आई ही नहीं ,बँटबारे का झंझट ही नहीं हुआ .गाँव के बीचो बीच बड़े से जमीन के टुकड़े में बड़ी सी कोठी थी हमारी ,खेत थे ,खेत जोतने वाले मजदूर थे,घर संभालने के लिए एक पूरा परिवार था ,एक मैनेजर था जो इन सब लोगों का काम देखने के लिए था सो घर के किसी भी सदस्य को काम करने की कभी जरूरत ही नहीं पड़ी .बहुत हुआ तो मैनेजर से थोडा बहुत हिसाब किताब ले लिया बस और थोडा बहुत संस्कृत पुराणों का अध्ययन -अध्यापन . ऐसे परिवेश में किशोरवस्था को प्राप्त करते हुए दादा जी ने  गुलामी का सही अर्थ समझा  तथा   उन्हें  अपने देश की गुलामी का भान हुआ ,पीड़ा हुई  और वे घर से छुप छुप कर आन्दोलन में हिस्सा लेने लगे और अपने पिता के देहांत के बाद खुलकर सक्रिय रूप से आन्दोलन में भाग लेने लगे .गर्म दल में होने के कारण जब तब पुलिस गाँव आकर पूछताछ करने लगी .
       उन दिनों गाँव में काफी एकता थी ,कोई भूल से भी उनके बारे में नहीं बताता ,इतना ही नहीं जिस किसी को भी पुलिस के आने की भनक लगती ,वे अपना सारा काम छोड़कर कोसों दूर दौड़कर उन्हें बता देते और दादा गाँव छोड़ देते .
  एक संतान की परम्परा टूटी और उनके दो बच्चे हुए बड़े मेरे ताऊ जी उनसे छोटे  मेरे पापा .यों तो पापा उस वक्त निरे बच्चे थे पर थे बड़े निर्भीक .एक बार अंग्रेज दादा को खोजने आये पूरे घर की तलाशी ली, जाते वक्त घर  का कीमती सामान सहेजने लगे तो पापा ने चिल्लाकर कहा “तुम्हारा घर नहीं है क्या ?  दूसरे के घरों को लूटने वाले लूटेरे ,चोर . पिताजी होते तो मजा चखाते .”                           एक अंग्रेज ने उनपर निशाना साध लिया पर दूसरे को दया आ गई और उसने कहा “ ही इज जस्ट ए चाइल्ड .लीभ हिम .” इतने में ताऊ जी घसीट  कर  उन्हें कमरे के भीतर ले गये और दादी ने कई तमाचे जड़ दिए ................                                                    क्रमशः

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