तपस्या ( भाग २ )
“ शीला कहाँ हो ? देखो मैंने बिट्टो के लिए क्या लाया ? नन्ही चुप हो गई वह जानती है नाना
के सामने भूलकर भी मम्मा का जिक्र नहीं करना है . “ नाना ये सूट कितने पुराने डिजाइन का है ." “ मैंने कहा था न तुझे चलने ." “ पर मुझे क्या पता आप मेरे लिए
कपडे खरीदने जा रहे हैं ?” “ठीक है कोई बात नहीं
कल चलना साथ , बदल लायेंगे , मैं कह आया हूँ ." “ ठीक है .” “ इनका काम ही
ऐसा होता है कोई काम एक बार में ढंग से
नहीं होता है.” नानी थीं, नन्ही को इनके नोंक झोंक अच्छे लगते . घर पूरा पूरा लगता . उसके घर जैसा
अधूरापन सूनापन नहीं था . कितने सीधे साधे हैं नाना पर कुछ मामले में बिलकुल कड़क , शायद पुरुष ऐसे ही होते हैं , पतंग की डोर की
तरह स्त्री को छूट देते हैं पर कहाँ किस बात में ढील एकदम कस देंगे , पता ही नहीं
चलता है . पापा भी ऐसे ही हैं . कुछ
मामलों में एकदम सख्त , तो कुछ मामलों में
एकदम नरम और नन्ही को अभी की घटना स्मरण हो आई .आराम से बालों में तेल लगा रहे थे
फिर क्या हुआ पापा को एकदम से ? अचानक
कैसे एकदम से चले जाने को कह दिया . ऐसा
करता है कोई भला ,वह उठकर पापा के कमरे में गई .
पापा निढाल से बैठे शून्य की ओर
देख रहे थे . नन्ही
डर गई “
क्या हुआ पापा आप ठीक तो हैं न ?” “
हाँ मैं ठीक हूँ पर ?......." “
पर क्या ?" “ कानपुर से फोन आया था , नानी की तबीयत खराब है . वे आई सी यू में भरती
है, मुझे जाना पड़ेगा .” “ पापा मैं भी चलूँ ?" “ हाँ नाना ने कहा है तुम्हे
अवश्य लाने .”
दूसरे
दिन जब वे अस्पताल पहुंचे तब तक नानी की स्थिति में काफी सुधार आ गया था और उन्हें वार्ड में सिफ्ट कर दिया गया था . पर नाना काफी परेशान लग रहे थे “ आ
गए तुमलोग ?” पूछा उन्होंने “ हाँ मेरी डाक्टर से बात हुई है ,
अब घबड़ाने की कोई बात नहीं है .” कहा पापा ने . “ हाँ अब ठीक है वह , एक दो दिन में छुट्टी भी दे देंगे .”
नाना थे “नाना अंदर चलें ?” पूछा नन्ही ने . “ तुम लोग चलो , मैं दवाइयाँ ले आता हूँ ." “ लाइए मैं ले आता हूँ .” कहकर पापा ने पर्ची नाना के हाथ से ले ली और चले गए नाना शायद इसी का इन्तजार कर रहे थे बहुत ज्ल्दी जल्दी कहा उन्होंने “ बेटा तुम जाओ नानी के पास वे तुमसे अकेले में कुछ बात करना चाहती है .". नन्ही अचम्भित हो गई फिर कुछ सोचती हुई अंदर चली गई . “ क्या हो गया ? कैसी हो नानी ?” “ जा रही थी ऊपर , रास्ते से वापस आ गई . कह दिया जमदूत से बिना नन्ही के बच्चो को खिलाये मुझे कोई नहीं ले जा सकता .” “ नानी कैसी बात करती हो .शुभ शुभ बोलो.” “ अच्छा नहीं करूंगी , पापा कहाँ हैं?” “ दवाइयाँ लेने गए हैं .” “ आ बैठ मेरे पास , आज मैं तुझे सब बातें सच सच बताती हूँ .” नन्ही को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ ,उसके कान खड़े हो गए नानी ने कहना शुरू किया “ नुपुर की गलती बस यही है कि वह बिना जात-पात , धर्म देखे प्यार कर बैठी .” नन्ही को यह वाक्य एक पहेली से ज्यादा नहीं लगा और उसने कहा “ नानी अगर बतानी है तो साफ साफ बताओ अन्यथा रहने दो ’” क्रोध से उसने मुँह फेर लिया . “ बिट्टो तू नाराज बड़ी जल्दी हो जाती है . बता ही तो रही हूँ , नुपुर जिससे शादी करना चाहती थी, वह हमारी बिरादरी का , मजहब का नहीं था . तुम्हारे नाना इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं हुए और उसकी शादी संजीव से करवा दी . अगर वह मंडप से ही भाग जाती तो इतने लोगों की जिंदगी बर्बाद नहीं होती लेकिन यह काम उसने शादी के तीन वर्ष बाद किया.” और नानी ने मुडी तुड़ी चिट्टी निकालकर नन्ही को दी एक साँस में नन्ही खत पढ़ गई “ माँ मुझे माफ़ कर देना तुम्हारे बताये रास्ते पर चलने की मैंने बहुत कोशिश की पर ...नन्ही का ख्याल रखना, जानती हूँ तुम सब मुझे कभी माफ़ नहीं कर पाओगी पर ....” और नन्ही के सामने सारी बातें साफ हो गई .
दो दिन बाद वे दोनों वापस जा रहे थे . बोर्डिंग हो चुकी थी . “ नन्ही बेल्ट बाँध लो .” कहा पापा ने आज्ञाकारी बच्चे कीतरह उसने बेल्ट बाँध लिया . वह इधर उधर देख रही थी . सारे कर्मचारी अपने अपने अपने काम में लगे थे . सामने खड़ी एयर होस्टेज सुरक्षा संबंधी जानकारी दे रही थी . अचानक नन्ही ने कहा “ पापा आप मेरी शादी को लेकर बहुत तनाव में है न ?” पापा की समझ में नहीं आया क्या कहे ? उनका अभी लड़ने का बिलकुल मन नहीं था न ही वे इस बात को नकार सकते थे.क्या कहें ? वे सोच ही रहे थे तभी नन्ही ने कहा “ पापा मैं शादी के लिए तैयार हूँ .” पापा को मानो अपने कानो पर विश्वाश नहीं हुआ “ क्या ? क्या कहा तुमने ?” “ जो आपने सुना पापा , हाँ मैं सहमत हूँ आपकी बात से , हर चीज का एक समय होता है .” “ क्या तुम्हे कोई पसंद है ?” “ पापा मेरी जिंदगी के सारे छोटे - बड़े फैसले आप ही लेते आये हैं फिर इतन बड़ा फैसला आप मुझ पर कैसे छोड़ सकते हैं ?” “ नहीं जमाना काफी बदल गया है ,न और तुम्हारी खुशी में ही तो मेरी ...” “ कोई जमाना नहीं बदला है और अगर बदल गया है तब भी क्या हुआ ? बाप बेटी का रिश्ता तो नहीं बदला न ?” “ पापा .....” “..हाँ कहो ....” बहुत भावुक होकर कहा नन्ही ने “ मैं माँ जैसी नहीं हूँ , मैं आपके जैसी हूँ , रिश्ते निभाना जानती हूँ , पापा यू आर ग्रेट , आई लव यू पापा . आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हो .” और पापा को लगा नन्ही आज बड़ी हो गई है काफी बड़ी और समझदार , सुलझी हुई . और उनकी तपस्या सफल हो गई . तभी विमान जमीन छोड़कर आकाश में उड़ने लगा उड़ते हुए तन के साथ साथ पापा का मन भी सातवे आसमान में उड़ने लगा
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